Gaon ke Log kaise hote hain : ये तो हम सभी जानते ही है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और भारत की जनसंख्या का सबसे बाद हिस्सा गांवों मे राहत है| और से भी सच है गाँव के लोग ही हमारे देश की संस्कृति और परंपराओं की असली रक्षक होते हैं| शहरों की भागदौड़ से पड़े गाँव के लोग एक शांत और सुकून वाला जीवन जीते हैं| Gaon ke Log kaise hote hain गाँव गाँव के लोगों मे नैतिकता, संस्कार और परम्पराओं का बहुत ही महत्व होता है| वैसे देखा जाए तो असली मज़ा गाँव मे ही हैं| बहुत सुकून मिलता है गाँव मे, चारों तरफ पेड़ पौधे , हरियाली, चहकती हुई चिढ़ियाँ बहुत आनंद है गाँव मे समय का पता ही नहीं चलता|
संस्कृति, परंपरा और सादगी
गाँव मे जो लोग रहते हैं, उनका जीवन बहुत ही सरल, साधारण और उच्च विचारों वाला होता है| गाँव के लोग महगें कपड़े, कटे – फैट फ़ैसन मे भरोसा नहीं रखते | उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य अपने परिवार और समाज को साथ लेकर एक संतुलित और खुशी वाला जीवन जीना है| अब चाहे कोई त्योहार हो या शादी गाँव के लोग अपने सादगी और परंपराओं की छाप छोड़ ही देते हैं|
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गाँव के लोग मेहनती और आत्मनिर्भर होते हैं
गाँव मे लोग हमेशा कड़ी मेहनत पर विश्वास रखते हैं| कृषि ही उनके जीवन यापन का मुख्य स्रोत होता है, और आप जानते ही होंगे कि कृषि करने मे कितनी कड़ी मेहनत की जरूरत होती है| गाँव कर लोग अधिकतर किसानी ही करते हैं| और किसान दिन रात अपनी फसल की देखभाल मे लगे रहते हैं| कृषि करना ईंट आसान नहीं बहुत मेहनत लगती है, धूप हो या छाँव दिन रात एक करना पड़ता हर एक फसल के लिए| इसके अलावा गाँव के लोग कारीगरी, पशुपालन, छोटा मोटा बिजनेस भी कर लेते हैं| गाँव के लोगों की सबसे विशेषता यही है कि वो कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटते |
सरल और सहयोगी स्वभाव
गाँव के लोगों मे समूह का बहुत महत्वपूर्ण योगड़ब है, गाँव के लोग हमेशा एक दूसरे के सुख – दुख मे साथ खड़े रहते हैं| गाँव के लोगों की ये खास बात है कि जब गाँव मे कोई शादी-विवाह , पूजा अर्चना, तीज – त्योहार या किसी भी प्रकार का आयोजन हो उसमे सर गाँव भागीदारी करता है| और बड़े ही धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है| कोई भी आटोजन हो पूरे जोर शोर से मनाया जाता है|
संस्कृति और परंपराओं का जीवित रखना
गाँव के लोग किसी भी प्रकार अपनी सांस्कृतिक धरोहर को नहीं भूल सकते वो इनसे बहुत गहराई से जुड़े होते है| गाँव के लोग अपनी बहस वेशभूषा, पहनावा और अपने रीति,रिवाजों का बहुत बारीकी से पालन करते हैं| गाँव मे अक्सर त्योहारों के समय उत्सव का महोल होता है, वहाँ के लोग नृत्य- लोकगीत तथा परंपरा के अनुसार कहेजो का भी आयोजन करते हैं| गाँव के लोग ये सब सिर्फ मॉरञ्जन के लिए नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए करते हैं|
गाँव मे प्रकृति के लिए सम्मान
ये तो हम भलीभाती जानते ही हैं की गाँव के लोग प्रकृति का कितना सम्मान करते हैं | ये लोग प्रकृति बहुत करीब होते हैं, खासकर खेती और किसानी के कारण गाँव के लोगों का जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर ही निर्भर होता है| गाँव मे नदियां, पेड़- पौधे, पशु- पक्षीयों का बहुत आदर और सम्मान किया जाता है| गाँव के लोग पर्यावरण को सुरक्षित रखने मे बहुत मदद करते हैं|
स्वास्थ्य और जीवन जीने का तरीका
ये सच है की गाँव के लोग शारीरिक तौर पर स्वस्थ और मजबूत होते हैं| उनका भोजन ताजगी और पोषण से भरपुर होता है| गाँव के लोग जदातर किसानी पर ही निर्भर रहते हैं| कड़ी मेहनत और ताजे , पौष्टिक भोजन के कारण गाँव के लोग शहरवासियों से कई गुना मजबूत और ताकतवर होते हैं| इसके साथ – साथ गाँव मे गाय का शुद्ध देसी घी, दूध शुद्ध हवा , ताज़ा वातावरण उनके मानसिक स्वास्थ्य को और भी मजबूत आबनता है|
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गाँव की चुनौतियाँ और उनसे निपटारा
वैसे तो गाँव मे जीवन बहुत शांत और सरल होता है मगर गाँव मे भी बहुत सारी चुनौतियाँ हैं | जैसे गाँव मे सुविधाओं की बहुत कमी होती है, अच्छी शिक्षा व्ययस्था भी नहीं मिल पाती, अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार के अवसर बहुत ही कम होते हैं| परंतु गाँव के लोग इन सभी संघर्षों के साथ भी धैर्य और उम्मीद भरा जीवन जीते हैं|
गाँव के लोग सरल, मेहनती, और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होते हैं। उनके जीवन में सामाजिक सहयोग, परंपराओं की अहमियत और प्रकृति के प्रति आदरभाव जैसी कई विशेषताएँ देखने को मिलती हैं। गाँव के लोगों का जीवन शहरों की तुलना में धीमा, लेकिन संतोषजनक होता है। यही कारण है कि गाँव का जीवन भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसकी आत्मा भी।